netra .....
Friday, June 25, 2010
एक आशा...
खुबसूरत हैं समां, क्यू उड़े ये मन मोरा,
याद किसी की दे जाये , हवा का एक ही झोंका,
हैं इसमें एक एहसास , उमंग से फूली हैं मेरी सांस,
कुछ कर दिखने की हैं मनशा,
कदम चल रहें हैं , ढूंढ़ रहें हैं सही दिशा,
झूम रहीं हैं मुझमें उम्मिद की हर एक आशा....
Sunday, June 20, 2010
हे जलसिन्धू...
मैं पिक बन गाती डाल-डाल ,
तू आता रहें हर बार - बार,
तुझे देखती रहू मैं भर नजर,
तू काहे तडपाएं मुझे हाल - हाल॥
तू आने से सृष्टि भर जाती नव ज्वार
रोमांचित होता कण - कण,
उल्हासीत होता गीत-गुंजन,
तू आया करें बस मेहरनज़र॥
आषाढ़ तू हैं, ग्रीष्म तू हैं,
मनभावन का श्रीकृष्ण तू हैं,
तेरे आने से बने सृष्टि नववधू,
बस आए अब तू हे जलसिंधू ॥
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