Wednesday, March 31, 2010

गजल - ऐ - शरारत

"कविता तो कविता होती हैं, नहीं कोई खेल,
जिस किसी के ह्रदय से आए , उससे नहीं किसी का मेल"
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'' गजले यहाँ मिलती ही नहीं हैं,
क्या लिखें, क्या पढ़ें, क्या गाए यहाँ पें"
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" किसीने कहां -
वाह! क्या बात हैं, वाह! क्या बात हैं
हमनें कहां -
" अरे, अभी तो ये शुरुआत हैं,
आगे आगे देखिये हम क्या क्या नजरें लातें हैं"
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" यह दुनिया कभी आपकी थी ही नहीं,
जरा गौरसे देखिये -
सभी हैं आपके....., आप किसीके नहीं...."
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" मैं बेचारी थकीं हारीं ,
इतनी दूर चली जाउंगी,
बिना खाने - पिने के
मेरी हालत बुरी हो जाएगी
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Tuesday, March 30, 2010

हे मेरे आका...

किसीने नहीं पढ़ा हैं,
कोई नहीं पढेंगा
इन लफ्जों का राज़
राज़ बना रहेगा
- दुनियां के कोनों में,
हैं अँधेरा ही अँधेरा,
टिमटिमाता दिपक
क्या क्या रोशन करेगा...
- हैं हमें यकीं, आज नहीं तो कल,
हमसें कोई उठेगा!!
लेकिन हमारा ये प्रयास,
क्या सफल रहेगा?.....
या फिर हमें समझना पड़ेगा....
की, हे मेरे आका !!!
' अँधेरा कायम रहेगा'.............

Wednesday, March 3, 2010

स्वप्न ...

पावसात भिजायचं होतं मला ...

तुझ्यासोबत ... चिम्ब व्हायचं होतं ...

सारं सारं विसरून कुशीत शिरायचं होतं तुझ्या ...

मन मोकलं बोलायचं होतं ...

बरंच काही सांगायचं होतं...

वसंताच ऋतुपण पहायचं होतं ...

अनुभवायचं होतं...

ते मोकळं रान ...

.... ती सुखावणारी इन्द्रधनुष्यें …

ते मोहक मोतियांचे थेम्ब ...

अंगावर झेलून ... तुझ्यासोबत ...

धुंद-सा मातीचा सुवास ...

पण या सर्वाहून मोठी तुझी साथ .......

मिळेल का मला हे ...

सारं काही अनुभवायला .... की ...

जाशील सोडून ....

मला हवीय तुझी साथ....

खुप खुप स्वप्ने पहिल्येत ...

तुझ्यासोबत पूर्ण करण्यासाठी ...

उद्याची केशरी पहाट पाहण्यासाठी ...

Monday, March 1, 2010

मुझे प्यार हुआ था ........

'पहली नजर में पहला प्यार' क्या होता हैं ,
'उस' दिन मैंने जाना ...
हर वक्त यही एहसास होता था,--
हर रोज आनेवाली रात भी...
उस दिन, मेरेही ..और सिर्फ मेरेही लिए तारें लेकर आई थी...
चाँद भी मेरे लिए ही जगमगा रहा था ...
ठंडी हवाका झोंका सिर्फ मुझसेही होकर गुजरता था...
मन पर मेरें तुम छाए हुए थे,
दिल पर मानों अब तुम्हाराही राज चल रहा था,
हर जगह तुम्हारे होनो का एहसास मज़ा देता था,...
होठों पर एक अंजानी-सी,
अचानक-सी हँसी आकर थम जाती थी ...
जो मानो मुझे छोड़ने का नाम ही नहीं लेती थी,
सब को पता चल गया ...
मैंने कभी किसीको अपने मन की बात ना बताई
फिर भी ......
सभी को इस बात का पता चल चूका था
की....
मुझे प्यार हुआ था .......

- - - - नेत्रा