Tuesday, October 19, 2010

प्यार..

आया सुहाना मौसम, खत्म हो गया इंतजार,
आई मिलन की बेला, शुरू हुआ हैं प्यार...
भीगी बारिश मैं भीगे हम, वो ही क्या हम भी ना रहें हम,
बाँहों मैं उनके सिमट गए हैं, सांसो की गर्दिश मैं लुट गए हैं,
हाय ! वारी वारी गए हम...
ताजा एहसास दे गए वो, की "तुम सिर्फ हमारे हो सनम..."

Wednesday, August 11, 2010

मज़हब

मौसम हैं बारिश का, प्रकृति ले रही हिंडोला
खुश हैं सारा संसार, मयूर नाच रहे हैं पंख पसार,
लेकिन हूँ मैं उदास, ना भाए कोई रास
मेरे जीवन मैं नहीं हैं, कोई संग कोई ख़ास
कह रहा मन मोरा, सब कुछ हैं तेरे पास
फिर क्यू हैं तू इतनी उदास , तू अकेली क्या काफी नहीं...
इस संसार को झकझोर ड़ाल,
पहचान आपनी ताकद , ले हाथ मैं तरवार,
बिच आई कठिनाई को तू काट डाल,
तेरी हिम्मत हैं ताकद, तेरा परिश्रम हैं तेरी तरवार
कामयाबी काट डा़लेगी जो आता तुझे आड़
हारना तेरी प्रवृत्ति नहीं , आँसुओंसे तेरा रिश्ता नहीं
आशिक़ होंगे तेरे इस दुनियां मैं,
फिर तवज्जु तेरा मज़हब नहीं.....

Sunday, August 1, 2010

समाँ..

सावन की बुँदे गिरती हैं जमिनपर
महकती हैं सृष्टि सासों की नमीं पर
सूरज की किरनोंमे उमड़कर केतकी रंग
सजी हैं सृष्टि ओढ़कर सुनहरी तरंग
पंछी गा रहे सावन का संगीत
यही तो हैं वसंत का सुमधुर आगम गीत
प्रकृति पर छाया ऋतु वसंत का जादू
ओह! क्या समाँ छाया हैं, साधू! साधू!!!

Thursday, July 8, 2010

उसूल...

एक बार छोड़ी हुई जॉब पर फिर नहीं जाती मैं,
एक बार छोड़े हुए प्यार की तरफ़ फिर कभी मुड़ती नहीं मैं,
वो इन्सान ही क्या, जिसे अपने उसूलों से प्यार नहीं,
वो औरत ही क्या , जिसे अपने आत्मसम्मान की पर्वा नहीं॥
कोई कुछ भी कहें कोई कुछ भी सोचें...
यहीं उसूल हैं मेरा...
यहीं नियम हैं, मेरी जिंदगी का...
एक बार छोड़ दिया तो छोड़ दिया
लेकीन मुड़ने की वजह तो वो विषाद नहीं...जो उस चीज ने मुझे दिया ॥
अतीत में मुड़कर कुछ सीखना चाहिए हमें ...
न की रोते रोते जिंदगी का जहन्नुम बना देना इसे
यही सिख दी मुझे मेरी जिंदगीने
जिसने चलाना सिखाया... उसे तो प्यार करती हुँ मैं... ख़ुशी तो दूँगी ही उसे....
सकी खातिर उसुलोंको एक बार छोड़ती हूँ मैं॥
लेकिन हर बार आए तो उस ख़ुशी से ही मुंह मोड़ लुंगी मैं...
उसुलोंकी पक्की हुँ मैं,
एक बार छोड़ी हुई चीज को वापस अपना नहीं सकती हुँ में॥

Friday, June 25, 2010

एक आशा...

खुबसूरत हैं समां, क्यू उड़े ये मन मोरा,
याद किसी की दे जाये , हवा का एक ही झोंका,
हैं इसमें एक एहसास , उमंग से फूली हैं मेरी सांस,
कुछ कर दिखने की हैं मनशा,
कदम चल रहें हैं , ढूंढ़ रहें हैं सही दिशा,
झूम रहीं हैं मुझमें उम्मिद की हर एक आशा....

Sunday, June 20, 2010

हे जलसिन्धू...

मैं पिक बन गाती डाल-डाल ,
तू आता रहें हर बार - बार,
तुझे देखती रहू मैं भर नजर,
तू काहे तडपाएं मुझे हाल - हाल॥

तू आने से सृष्टि भर जाती नव ज्वार
रोमांचित होता कण - कण,
उल्हासीत होता गीत-गुंजन,
तू आया करें बस मेहरनज़र॥

आषाढ़ तू हैं, ग्रीष्म तू हैं,
मनभावन का श्रीकृष्ण तू हैं,
तेरे आने से बने सृष्टि नववधू,
बस आए अब तू हे जलसिंधू ॥

Monday, May 31, 2010

जुगनू ...

जुगनू चमके रात के अन्धेरें में

चांदी चमके दिन के उजालेमें,

चांदनी को हैं चाँद की रौशनी

मगर

तारों की प्रवृत्ति हे रौशनी

जिंदगी में तारे बनने की चाह हैं,

ताकि अपनी रौशनी से

दूसरों की जिंदगी भी रोशन कर सकूँ .......

Friday, May 14, 2010

ईरादा ...

उड़ते पंच्छी के पर कभी गिने नहीं जाते...
वैसे मेरे सपने भी कभी गिने नहीं जाएंगे ...
क्या करे, वे गिन गिन क्र कम होते जा रहे हैं,
मेरी आशाएं निराशाएँ इनका कोई मतलब नहीं?
मुझे क्या करना हैं, कोई पूछेगा भी नहीं......
ऐसे विचार करके अपना जीवन नरक न बनाना मुझे...
दुनियां सुन्दर हैं, आज नहीं तो कल
अपने सपने साकार रूप तो ले ही लेंगे...
सिर्फ अपने आप पर मुझे भरोसा होना चाहिए
आज नहीं तो कल अपने पीछे कोई "अपना" खड़ा रहेंगा
सिर्फ भरोसा होना चाहिए
उड़ते पंछी के पर गिनने की क्या जरुरत हैं...
अपने ईरादे मजबूत होने चाहिए...
फिर पीछे कोई खड़ा रहे या ना रहे......
(: ------------------- :)

Tuesday, May 11, 2010

खास SMS ...

कहो उनसे ,जो ना कहें किसी से ,
मांगो उसीसे, जो देदें खुशीसे,
चाहो उसीको , जो मिले किस्मत से ,
प्यार करो उसी से जो निबाहें ख़ुशी से...
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ख़ुशी मिले तो खुश रहा करो,
कोई हो गम तो हम से कहा करो ,
मैं नहीं चाहता की तुम उदास हो,
अपने लिए न सही , मेरे लिए
मुस्कुराते रहा करो....
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कल रत चाँद बिलकुल आप जैसा था...
बिलकुल वो ही खूबसूरती...
वो ही नूर ...
वो ही गुरूर ...
वो ही सुरूर ...
और
वो ही आप की तरह हम से दूर....
आय मिस यु...
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मेरी तन्हाई का मुझे गिला नहीं
क्या हुआ जो कोई हमें मिला नहीं
फिर भी दुआ करेंगे तेरे वास्ते
तुझे वो मिले जो हमें मिला नहीं
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निकलता चाँद सबको पसंद होता हैं
डूबता सूरज कोन देखता हैं
टूट-ता तारा सब की दूए इसलिए पूरी करता हैं,
क्यू के
टूटने का दर्द उसे मालूम होता हे....
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Wednesday, March 31, 2010

गजल - ऐ - शरारत

"कविता तो कविता होती हैं, नहीं कोई खेल,
जिस किसी के ह्रदय से आए , उससे नहीं किसी का मेल"
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'' गजले यहाँ मिलती ही नहीं हैं,
क्या लिखें, क्या पढ़ें, क्या गाए यहाँ पें"
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" किसीने कहां -
वाह! क्या बात हैं, वाह! क्या बात हैं
हमनें कहां -
" अरे, अभी तो ये शुरुआत हैं,
आगे आगे देखिये हम क्या क्या नजरें लातें हैं"
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" यह दुनिया कभी आपकी थी ही नहीं,
जरा गौरसे देखिये -
सभी हैं आपके....., आप किसीके नहीं...."
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" मैं बेचारी थकीं हारीं ,
इतनी दूर चली जाउंगी,
बिना खाने - पिने के
मेरी हालत बुरी हो जाएगी
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Tuesday, March 30, 2010

हे मेरे आका...

किसीने नहीं पढ़ा हैं,
कोई नहीं पढेंगा
इन लफ्जों का राज़
राज़ बना रहेगा
- दुनियां के कोनों में,
हैं अँधेरा ही अँधेरा,
टिमटिमाता दिपक
क्या क्या रोशन करेगा...
- हैं हमें यकीं, आज नहीं तो कल,
हमसें कोई उठेगा!!
लेकिन हमारा ये प्रयास,
क्या सफल रहेगा?.....
या फिर हमें समझना पड़ेगा....
की, हे मेरे आका !!!
' अँधेरा कायम रहेगा'.............

Wednesday, March 3, 2010

स्वप्न ...

पावसात भिजायचं होतं मला ...

तुझ्यासोबत ... चिम्ब व्हायचं होतं ...

सारं सारं विसरून कुशीत शिरायचं होतं तुझ्या ...

मन मोकलं बोलायचं होतं ...

बरंच काही सांगायचं होतं...

वसंताच ऋतुपण पहायचं होतं ...

अनुभवायचं होतं...

ते मोकळं रान ...

.... ती सुखावणारी इन्द्रधनुष्यें …

ते मोहक मोतियांचे थेम्ब ...

अंगावर झेलून ... तुझ्यासोबत ...

धुंद-सा मातीचा सुवास ...

पण या सर्वाहून मोठी तुझी साथ .......

मिळेल का मला हे ...

सारं काही अनुभवायला .... की ...

जाशील सोडून ....

मला हवीय तुझी साथ....

खुप खुप स्वप्ने पहिल्येत ...

तुझ्यासोबत पूर्ण करण्यासाठी ...

उद्याची केशरी पहाट पाहण्यासाठी ...

Monday, March 1, 2010

मुझे प्यार हुआ था ........

'पहली नजर में पहला प्यार' क्या होता हैं ,
'उस' दिन मैंने जाना ...
हर वक्त यही एहसास होता था,--
हर रोज आनेवाली रात भी...
उस दिन, मेरेही ..और सिर्फ मेरेही लिए तारें लेकर आई थी...
चाँद भी मेरे लिए ही जगमगा रहा था ...
ठंडी हवाका झोंका सिर्फ मुझसेही होकर गुजरता था...
मन पर मेरें तुम छाए हुए थे,
दिल पर मानों अब तुम्हाराही राज चल रहा था,
हर जगह तुम्हारे होनो का एहसास मज़ा देता था,...
होठों पर एक अंजानी-सी,
अचानक-सी हँसी आकर थम जाती थी ...
जो मानो मुझे छोड़ने का नाम ही नहीं लेती थी,
सब को पता चल गया ...
मैंने कभी किसीको अपने मन की बात ना बताई
फिर भी ......
सभी को इस बात का पता चल चूका था
की....
मुझे प्यार हुआ था .......

- - - - नेत्रा