Monday, May 31, 2010

जुगनू ...

जुगनू चमके रात के अन्धेरें में

चांदी चमके दिन के उजालेमें,

चांदनी को हैं चाँद की रौशनी

मगर

तारों की प्रवृत्ति हे रौशनी

जिंदगी में तारे बनने की चाह हैं,

ताकि अपनी रौशनी से

दूसरों की जिंदगी भी रोशन कर सकूँ .......

1 comment:

  1. आप बहुत सुंदर लिखती हैं. भाव मन से उपजे मगर ये खूबसूरत बिम्ब सिर्फ आपके खजाने में ही हैं

    ReplyDelete