Thursday, July 8, 2010

उसूल...

एक बार छोड़ी हुई जॉब पर फिर नहीं जाती मैं,
एक बार छोड़े हुए प्यार की तरफ़ फिर कभी मुड़ती नहीं मैं,
वो इन्सान ही क्या, जिसे अपने उसूलों से प्यार नहीं,
वो औरत ही क्या , जिसे अपने आत्मसम्मान की पर्वा नहीं॥
कोई कुछ भी कहें कोई कुछ भी सोचें...
यहीं उसूल हैं मेरा...
यहीं नियम हैं, मेरी जिंदगी का...
एक बार छोड़ दिया तो छोड़ दिया
लेकीन मुड़ने की वजह तो वो विषाद नहीं...जो उस चीज ने मुझे दिया ॥
अतीत में मुड़कर कुछ सीखना चाहिए हमें ...
न की रोते रोते जिंदगी का जहन्नुम बना देना इसे
यही सिख दी मुझे मेरी जिंदगीने
जिसने चलाना सिखाया... उसे तो प्यार करती हुँ मैं... ख़ुशी तो दूँगी ही उसे....
सकी खातिर उसुलोंको एक बार छोड़ती हूँ मैं॥
लेकिन हर बार आए तो उस ख़ुशी से ही मुंह मोड़ लुंगी मैं...
उसुलोंकी पक्की हुँ मैं,
एक बार छोड़ी हुई चीज को वापस अपना नहीं सकती हुँ में॥

1 comment:

  1. आज की दुनिया का कटु शाश्वत वास्तविक सत्य ..

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