Friday, June 25, 2010

एक आशा...

खुबसूरत हैं समां, क्यू उड़े ये मन मोरा,
याद किसी की दे जाये , हवा का एक ही झोंका,
हैं इसमें एक एहसास , उमंग से फूली हैं मेरी सांस,
कुछ कर दिखने की हैं मनशा,
कदम चल रहें हैं , ढूंढ़ रहें हैं सही दिशा,
झूम रहीं हैं मुझमें उम्मिद की हर एक आशा....

3 comments:

  1. सुंदर भाव ।

    कृपया वर्ड-वेरिफिकेशन हटा लीजिये
    वर्ड वेरीफिकेशन हटाने के लिए:
    डैशबोर्ड>सेटिंग्स>कमेन्टस>Show word verification for comments?>
    इसमें ’नो’ का विकल्प चुन लें..बस हो गया..कितना सरल है न हटाना
    और उतना ही मुश्किल-इसे भरना!! यकीन मानिये

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  2. उफ्फ... फ... फ..सच बेहद प्रभावशाली रचना लाजवाब......

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